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लेखनी कहानी -30-Apr-2022 नशीली आंखों वाली

#शाॅर्ट  स्टोरी चैलेंज 


जाॅनर : प्रेम 

नशीली  आंखों वाली

यह उन दिनों की बात है जब मैं कॉलेज में प्रोफेसर था और मेरा विवाह नहीं हुआ था। एक दिन कॉलेज के विद्यार्थियों ने एक पिकनिक का आयोजन किया और उसमें कुछ प्रोफेसरों को भी आमंत्रित किया गया जिससे लड़कियों के मां बाप उन्हें पिकनिक में भेज दें । उस दिन मुझे पता चला कि कॉलेज में मेरी स्थिति क्या थी । सारी लड़कियां मुझे घेरकर बैठ गई । कभी गाना सुनाने की फरमाइश तो कभी शेरो शायरी की  । एक लड़के ने तो मेरे कान में कह भी दिया कि सर, आप तो गोपियों के बीच में कन्हैया लग रहे हो । मैंने उसे हल्के से डांटा कि मेरा और उनका रिश्ता एक गुरु और शिष्य का है इसलिए ऐसी बात सोचनी भी नहीं चाहिए ।उन लोगों द्वारा बहुत जिद करने पर मैंने एक गाना " कसमें वादे प्यार वफा सब , बातें हैं बातों का क्या " सुना दिया। भगवान ने मेरा गला अच्छा दिया है , इसलिए समां बंध गया ।

लड़कियां " पल भर के लिए कोई हमें प्यार कर ले , झूठा ही सही " सुनाने की जिद करने लगीं लेकिन मैंने वह गाना नहीं सुना कर एक दूसरा गाना " जिंदगी इक सफ़र है सुहाना, यहां कल क्या हो किसने जाना " सुनाकर अपनी लाज बचाई । 
इस घटना से मुझे यह पता चल गया था कि लड़कियों में मैं काफी लोकप्रिय हूं । इसके थोड़े दिन बाद मेरे एक मित्र जो कॉलेज में साथ पढ़ते थे की शादी का कार्ड आया और साथ ही एक पत्र जिसमें लिखा था कि शादी में जरूर आना है । पहले टेलीफोन गिने चुने लोगों के पास थे और मोबाइल थे ही नहीं । जिगरी दोस्त की शादी में जरूर जाना है , यह सोचकर शादी की तैयारियों में लग गए। 

शादी वाले दिन हम सब दोस्तों ने जो करीब आठ दस थे , खूब ऊधम मचाया । बारात जब दुल्हन के घर पहुंची तो दरवाजे पर वरमाला के समय खूब धमाचौकड़ी हुई । पहले शादी घरों से ही होती थी , मैरिज होम से नहीं । वरमाला के बाद खाना खाकर फेरों पर बैठ गये । बडा शौक लग रहा था फेरों का । दुल्हन की पांच सात सहेलियां या बहन जो भी कोई थीं , दुल्हन के पास ही बैठी थी । बस दोनों तरफ से हंसी-मजाक का दौर शुरू हो गया । 

एक लड़की ने जो सूट पहन रखा था उसमें गुलाब के फूल बने हुए थे। उन सबमें वही सबसे सुंदर भी थी । उसकी आंखें सबसे ज्यादा आकर्षक थी । मैं तो उन्हें देखकर ही दीवाना हो गया था। पहले मेरे दोस्त हंसी-मजाक ज्यादा कर रहे थे मैं बस साथ दे रहा था लेकिन धीरे-धीरे लड़कियां भारी पड़ने लगीं । तब मुझे मैदान में आना पड़ा । मैंने उसे छेड़ते हुए कहा : आज तो बागों में गुलाबों की बहार छाई हुई है । और यह कहकर मैंने सीधा उसकी आंखों में देखा । उसने भी मेरी आंखों में देखा और नजरें झुका ली । दूसरी लड़कियां कहां पीछे रहने वाली थी । झट से बोली : गुलाबों की बहार तो है , पर कांटे भी बहुत हैं । ध्यान से रहना । 
मैं : अजी कांटों की परवाह कौन करता है । हम तो गुलाबों के गुलाम हैं तो कांटों से भी हमारी दोस्ती है । ये कांटे हमारा क्या बिगाड़ लेंगे ? 
वो बोलीं : अच्छों अच्छों के कपड़े फाड़ दिए हैं इन कांटों ने । आपकी तो हस्ती ही क्या है ? 

अब बात हस्ती पर आ गई थी । तो हमने भी नहले पर दहला मारते हुए कहा : अजी हस्ती की तो पूछो ही मत । कॉलेज की सारी लड़कियां मरतीं हैं हम पर ।
" अच्छा तो कॉलेज में पढ़ते हैं जनाब " ? 
" अजी , पढ़ता कौन है ? हम तो पढ़ाते हैं " 
उन्होंने हमें देखा और आश्चर्य से कहा " अभी तो दूध के भी दांत टूटे नहीं और जनाब प्रोफेसर बनने चले हैं " 
मैंने कहा " हम तो तुम जैसी परियों को पढ़ाते हैं " 
अब हमारा सिक्का जम गया था । इस बीच उस लड़की से हमारी नजरें कई बार मिलीं । अब वह अपनी नजरें नीची नहीं करती थी । कई बार तो एक मिनट से भी ज्यादा देर तक नजरें मिली रहीं । 
एक दूसरी लड़की जो पटर पटर ज्यादा कर रही थी और बालों में मोगरे की माला लगा रखी थी को छेड़ने की गरज से हमने कहा : आपके बालों से जो खुशबू आ रही है , हम तो बेहोश होते जा रहे हैं 
वो बोली : केवल बालों की खुशबू से ही बेहोश हो रहे हो , हमारी खुशबू होगी तो क्या होगा ? 
" अजी , होगा क्या ? जान ही तो जायेगी , और क्या होगा ? वैसे भी आपकी तिरछी नजरों की कटार ने कौन‌ सा जिंदा छोड़ा है " 

यह सुनकर सारी लड़कियां जोर से हंस पड़ी । इस शोरगुल से पंडित परेशान हो गया और मुझसे हाथ जोड़कर बोला : भैया जी , अगर आपकी इजाजत हो तो फेरे पड़वा दूं । 

अब मुझे अहसास हुआ कि कुछ ज्यादा हो रहा है । मैं एकदम खामोश हो गया । 

लड़कियों को चैन कहां था । फिर छेड़ने लगी । कहने लगी कि बड़े डरपोक हो और बातें बहादुरी की करते हो । लेकिन मैं उनके बहकावे में नहीं आया और चुपचाप उन्हें देखता रहा । 

फेरों से पहले एक बार इंटरवेल हुआ । पानी और लघुशंका के लिए । सब लोग खड़े हो गए । मैं अचानक लड़कियों के पास चला गया जिससे धीरे धीरे बातें की जा सकें । 

मैंने बात शुरू करने की गरज से उनके नाम पूछे तो वो नशीली आंखों वाली ने कहा : क्या करोगे नाम जानकर ? 
मैंने कहा कि जब दिल में दर्द उठेगा तो आपका नाम ले लेंगे । दर्द कम हो जायेगा । 
तो कहने लगी किस किस का नाम पूछना चाहते हो ।
मैंने कहा : सबका 
सब जोर से हंस पड़ी। सबका क्या करोगे ? ये बताओ , कौन‌ सी पसंद आई है ? 

मुझे लगा कि मुझे फंसाया जा रहा है लेकिन मैं कोई फंसने वाला थोड़ी था । मैंने कहा : मुझे तो सभी पसंद हैं पर ये बताओ कि तुम में से मुझे कौन कौन पसंद करतीं हैं ? 
वो सब फिर से खिलखिला कर हंस पड़ी । मोगरे वाली बोली : बातों में आपसे जीतना बहुत मुश्किल है । अच्छा , मैं ही बता देती हूं । मेरा नाम रजनी है । 
एक एक कर उन्होंने अपना नाम बता दिया फिर मेरा नाम और काम पूछा । जब मैंने अपना नाम और काम बताया तो उन्होंने फिर से पूछा " क्या आप वाकई प्रोफेसर हैं " 
आपको संदेह क्यों है ? 
आप लगते नहीं हो , इसलिए । 
हां , मैं एम कॉम करते ही प्रोफेसर बन‌ गया था। 

फिर मैंने नशीली आंखों वाली लड़की जिसका नाम राधा था से कहा : आपसे थोड़ी निजी बात करनी है , थोड़ा एकांत में चलते हैं । 
सब लड़कियां कहने लगी कि नहीं , हमारे सामने ही करो । 

मैं उसकी आंखों में देखकर वहां से चल दिया और बगल के कमरे में घुस गया। मैंने देखा कि मेरे पीछे पीछे वो भी आ रही थी । 

जैसे ही वह कमरे में आई , मैंने उसे अपनी बांहों में भरकर दीवार से सटा दिया और एक भरपूर चुंबन करने लगा । 
वह अचानक से इस व्यवहार पर सकपका गई लेकिन थोड़ी देर बाद वह भी साथ देने लगी। इतने में दो तीन महिलाएं उस कमरे में आ गई और वह दृश्य देखकर "हे  भगवान" कहकर एकदम से बाहर भाग गईं । अब मैंने राधा को छोड़ दिया। उसके अधरों पर मेरी निशानी अंकित हो गई थी । वह मुस्करा कर बाहर आ गई ।

उन औरतों ने बाहर आकर माजरा बताया या नहीं , मुझे पता नहीं लेकिन मैं यह सोचकर कि राधा की बदनामी ना हो जाये , थोड़ी देर चुप रहा । मेरे दोस्तों ने मेरा यह रूप पहली बार देखा था इसलिए वे भी बहुत आश्चर्यचकित थे । उन्होंने मुझे खूब समझाया कि यह ग़लत है । 

मैं बड़ा परेशान हो गया । सामने राधा मुझे ही देखे जा रही थी और मुस्कुरा कर मुझे चुनौती दे रही थी । मेरे दोस्त मुझे रोक रहे थे । मैं क्या करूं , कुछ समझ नहीं आ रहा था । 

इस कशमकश से बचने के लिए मैं घर से बाहर सड़क पर आ गया और इन परिस्थितियों पर विचार करने लगा । थोड़ी देर बाद मैंने देखा कि राधा भी वहां आ गई और कहने लगी कि सब लड़कियां आपको बुला रहीं हैं । 
मैंने कहा : मैं अचानक यह सब कुछ कर बैठा , इसके लिए क्षमा मांगता हूं । 
उसने मेरी आंखों में देखा और मेरा हाथ पकड़ कर एक गली में ले गई । मुझसे लिपट गई और अपना मुंह मेरे आगे कर दिया ।

छप्पन भोग मेरे सामने थे । छोड़ना उसका अपमान होता । इसलिए फिर एक बार एक दीर्घ चुंबन ।अब तृप्ति हो चुकी थी । वह मुझे अपने घर ले जाना चाहती थी , लेकिन इतने में मुझे ढूंढते हुए मेरे दोस्त आ गए । मैं उनके साथ हो लिया । 

अब मैं संयत है चुका था और अपनी मर्यादा का ध्यान भी आ गया था । फिर मैं सोने चला गया ।

( कल्पना पर आधारित ) 

हरिशंकर गोयल "हरि"


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8 Comments

kashish

12-Feb-2023 02:55 PM

beautiful

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Hari Shanker Goyal "Hari"

12-Feb-2023 10:33 PM

धन्यवाद मैम

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sunanda

01-Feb-2023 03:08 PM

lajwab

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Hari Shanker Goyal "Hari"

12-Feb-2023 10:32 PM

💐💐🙏🙏

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Gunjan Kamal

01-May-2022 01:37 AM

बहुत खूब

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Hari Shanker Goyal "Hari"

01-May-2022 05:37 AM

आभार मैम

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